बाल साहित्य

Dear Aflatoon Bhai,

With the help of many friends we were able to translate over 40 Children’s books translated in Hindi in the month of June 2022.
I hope you like them. It will be kind if you can share them with those who may cherish them. We are deep into translating good books into Hindi.

Many thanks.

love and peace

arvind

अबाबील के गीत (सचित्र), हिंदी, पुरुस्कृत पुस्तक, बालसाहित्य, लियो पोलिटी 01.06.2022
https://archive.org/download/ababeel-ke-geet-h/ababeel-ke-geet%20-%20H.pdf

अब मुझे उड़ने दो – एक गुलाम परिवार की कहानी (सचित्र), हिन्दी, बालसाहित्य, 02.06.2022
https://archive.org/download/gulam-parivar-kahaani-h/gulam-parivar-kahaani%20-%20H.pdf

गैलीलियो (सचित्र), महान वैज्ञानिक, हिन्दी, बालसाहित्य, मैकडोनाल्ड 03.06.2022
https://archive.org/download/galileo-popular-h/GALILEO%20-%20POPULAR%20-%20H.pdf

पास्कुअल की जादुई तस्वीरें (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, एमी 03.06.2022
https://archive.org/download/pascal-photo-h/PASCAL-photo-%20H.pdf

फिलिस की बड़ी परीक्षा (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, कैथरीन 04.06.2022
https://archive.org/download/filis-wheatley-pareeksha-h/filis-wheatley-pareeksha%20-%20H.pdf

मैं, गैलीलियो (सचित्र), हिंदी, प्रेरक जीवनी, बालसाहित्य, बोनी 05.06.2022
https://archive.org/download/i-galileo-h/I%20GALILEO%20-%20H.pdf

लालिबेला की सर्वश्रेष्ठ मधुमक्खी पालक (सचित्र), अफ्रीका की कहानी, हिंदी, बालसाहित्य, क्रिस्टीना 07.06.2022
https://archive.org/download/lalibela-h/LALIBELA%20-%20H.pdf

बिक्री के लिए बंदर (सचित्र), एक अफ्रीकी कहानी, हिंदी, बालसाहित्य, सना 07.06.2022
https://archive.org/download/bikri-bandar-h/bikri-bandar%20-%20H.pdf

बहुत सारे खरगोश (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, पैगी 08.06.2022
https://archive.org/download/bahut-khargosh-h/bahut-khargosh%20-%20H.pdf

बन्दर पुल (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, प्रेरक, जातक कथा 08.06.2022
https://archive.org/download/bandar-pul-h/bandar-pul%20-%20H.pdf

कौन थे डॉ. सूस? (सचित्र), हिन्दी, प्रेरक जीवनी, जैनेट बी. पास्कल, चित्र: नैन्सी हैरिसन, भाषान्तर: पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा 09.06.2022
https://archive.org/download/kaun-doctor-soos-h/kaun-doctor-soos%20-%20H.pdf

माणिक राजकुमार, भारतीय कहानी (सचित्र) – हिंदी – बालसाहित्य 09.06.2022
https://archive.org/download/manik-rajkumar-h/manik-rajkumar-%20H.pdf

स्वतंत्रता नदी पर दोस्त (सचित्र), गुलामों का पलायन, हिंदी, बालसाहित्य,  09.06.2022
https://archive.org/download/nadi-palayan-gulam-h/nadi-palayan-gulam%20-%20H.pdf

सोने की चमक – कैलिफ़ोर्निया गोल्ड-रश की कहानी (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, चित्र: अन्ना, स्टीफन 10.06.2022
https://archive.org/download/gold-rush-h/gold-rush-%20H.pdf

दूध से लेकर आइसक्रीम तक (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, अली 10.06.2022
https://archive.org/download/doodh-se-icecream-H/doodh-se-icecream-H.pdf

जानवर से जूतों तक (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, अली 10.06.2022
https://archive.org/download/janwar-se-joote-h/janwar-se-joote-%20H.pdf

कपास से लेकर पतलून तक (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, अली 11.06.2022
https://archive.org/download/kapas-se-patloon-h/kapas-se-patloon%20-%20H.pdf

रेत से कांच तक (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, अली 11.06.2022
https://archive.org/download/ret-se-kaanch-h/ret-se-kaanch-%20H.pdf

चुकंदर से चीनी तक (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, अली 11.06.2022
https://archive.org/download/chukandar-se-cheeni-h/chukandar-se-cheeni%20-%20H.pdf

डायनासोर से लेकर जीवाश्म तक (सचित्र) , हिंदी, बालसाहित्य,  एनेगर्ट 11.06.2022
https://archive.org/download/dino-se-jeevanshm-h/dino-se-jeevanshm%20-%20H.pdf

ट्राएंगल फैक्ट्री में लगी आग (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, होली 12.06.2022
https://archive.org/download/factory-fire-h/factory-fire%20-%20H.pdf

जॉर्जिया ओ’कीफ़ी – आर्टिस्ट (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, प्रेरक जीवनी, 12.06.2022
https://archive.org/download/okeefee-artist-h/OKEEFEE-ARTIST-%20H.pdf

लियोनार्डो और उड़ने वाला लड़का – लियोनार्डो दा विंची की कहानी (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, लॉरेंसन 13.06.2022
https://archive.org/download/vinci-udne-vala-ladka-h/vinci-udne-vala-ladka%20-%20H.pdf

मार्था वाशिंगटन (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, जीवनी, कैंडिस 13.06.2022
https://archive.org/download/martha-wash-h/martha-wash%20-%20H.pdf

बुद्धिमान बन्दर की कथा (सचित्र), हिन्दी, बालसाहित्य, बेट्सी 14.06.2022
https://archive.org/download/budhiman-bandar-h/budhiman-bandar%20-%20H.pdf

गरीब फेरीवाला – प्रचीन अरबी कहानी (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, फ्लाविया 15.06.2022
https://archive.org/download/garib-feriwala-h/garib-feriwala-%20H.pdf

हैरिएट टबमैन (सचित्र), हिन्दी, बालसाहित्य, प्रेरक जीवनी, लेखन: पॉली कार्टर, चित्र: ब्रायन पिंकने, भाषान्तरः पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा 15.06.2022
https://archive.org/download/harriet-nayee-h/harriet-nayee%20-%20H.pdf

सिकोयाह – जिस चैरुकी आदमी ने अपने लोगों को लिखाई दी, हिंदी, IBA 15.06.2022
https://archive.org/download/sekuoyah-h/SEKUOYAH%20-%20H.pdf

रूथ और ग्रीन बुक (सचित्र), हिन्दी, बालसाहित्य, केल्विन 16.06.2022
https://archive.org/download/gulam-green-buk-h/gulam-green-buk%20-%20H.pdf

“यूनियन” पतंग की उड़ान (सचित्र), हिन्दी, सच्ची कहानी, बालसाहित्य, टेकला 17.06.2022
https://archive.org/download/patang-niagra-h/patang-niagra%20-%20H.pdf

उम्मीद का झरना (सचित्र), सत्यकथा, अफ्रीकी कहानी, हिंदी, बालसाहित्य, एरिक 18.06.2022
https://archive.org/download/ummeed-ka-jharna-h/ummeed-ka-jharna%20-%20H.pdf

बेन फ्रैंकलिन की पहली पतंग (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, स्टीफन 19.06.2022
https://archive.org/download/ben-pehli-patang-h/ben-pehli-patang%20-%20H.pdf

अनाथों का जन्मदिन (सचित्र), अफ़्रीकी सत्यकथा, हिंदी, बालसाहित्य, एरिक 19.06.2022
https://archive.org/download/anath-janmdin-h/anath-janmdin%20-%20H.pdf

चल सप्तर्षि के पीछे! (सचित्र) – हिंदी – बालसाहित्य, बर्नडीन कॉनली, चित्र: इवान ब्युकानैन, भाषान्तर: पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा 21.06.2022
https://archive.org/download/saptrishi-peecha-karo-h/saptrishi-peecha-karo%20-%20H.pdf

नौ शांति दूत (सचित्र), हिंदी, प्रेरक जीवनियां, बालसाहित्य, अनाम 21.06.2022  
https://archive.org/download/peace-heroes-h/PEACE%20HEROES%20-%20H.pdf

ला-लोरोना – मेक्सिकन भूतनी की कहानी, हिंदी, बालसाहित्य, मेक्सिकन 22.06.2022  
https://archive.org/download/mexican-bhootni-h/mexican-bhootni%20-%20H.pdf

आंटी क्लारा ब्राउन (सचित्र), हिन्दी, बालसाहित्य, प्रेरक जीवनी, लिंडा  23.06.2022  
https://archive.org/download/auntie-clara-h/auntie-clara-%20H.pdf

मेरे पापा काम पर नहीं जाते! (सचित्र), हिन्दी, बालसाहित्य, मदीना 24.06.2022  
https://archive.org/download/papa-no-naukri-h/papa-no-naukri-%20h.pdf

मिस्र की नावें (सचित्र) – हिन्दी – बालसाहित्य, जेफ्री स्कॉट 24.06.2022  
https://archive.org/download/mistr-ki-naaven-h/mistr-ki-naaven%20-%20H.pdf

दीवार तोड़ना – काले छात्रों का संघर्ष (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, मार्क 25.06.2022
https://archive.org/download/deewar-todna-h/deewar-todna-%20h.pdf

सीज़र शावेज़ (सचित्र), हिन्दी, बालसाहित्य, प्रेरक जीवनी, लेखन: जिंजर वैडस्वर्थ, भाषान्तर: पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा 25.06.2022
https://archive.org/download/neta-chavez-h/neta-chavez-%20H.pdf

विवा मेक्सिको! बेनिटो जुआरेज़ की कहानी (सचित्र), हिंदी, प्रेरक जीवनी 26.06.2022
https://archive.org/download/benito-juarez-new-h/BENITO%20JUAREZ%20NEW%20-%20H.pdf

एस्तेर मोरिस ने महिलाओं को मतदान कराया (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, 27.06.2022
https://archive.org/download/morris-vote-women-h/morris-vote-women%20-%20H.pdf

लीफ एरिकसन (सचित्र), हिंदी, बालसाहित्य, लेखन: शेनॉन क्नूडसन, भाषान्तर: पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा 29.06.2022
https://archive.org/download/leif-viking-h/LEIF%20VIKING%20%20-%20H.pdf

बेसी कोलमैन – पहली अफ्रीकी-अमीरकी महिला पायलट, हिन्दी, बालसाहित्य, 29.06.2022
https://archive.org/download/bessie-coleman-h/BESSIE%20COLEMAN%20-%20H.pdf

कौन हैं मलाला यूसुफजई?, हिंदी, बालसाहित्य,  प्रेरक जीवनी, दीना 30.06.2022

Arvind Gupta
Flat 401, Chitrakoot,

Building B, 1065, Gokhale Cross Road

(Near Symbiosis Institute of Distance Learning)
Model Colony, Pune 411016
+917350288014
Preferred Email: arvindtoys@gmail.com
http://arvindguptatoys.com

प्रिय अरविंद भाई,

 बाल-साहित्य की पीडीएफ कड़ियाँ पाकर खुशी हुई। मैं अपने संपर्कियों में इन्हें साझा करूंगा।

https://shaishav.wordpress.com पर भी साझा करूंगा।

आपको बहुत शुक्रिया और सुकामना।

सप्रेम,

अफ़लातून

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किस्सा नेपाली बाबा

ओडीशा के अनुगुल शहर के पास रंतलेई नामक एक गांव है। 1952 के आसपास वहां एक 14-15 वर्ष के किशोर को बाबा बना दिया गया। उसे स्थानीय मारवाड़ियों और व्यापारियों का सरंक्षण मिला हुआ था।हर तरह के रोग तथा विकलांगता बाबा की दवा से ठीक हो जाती है,यह प्रचार हो गया था।मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से काफी पीड़ित रंतलेई पहुंचने लगे।मेले में व्यापारियों की कमाई होने लगी।इस इलाके की मशहूर समाजओडीशा के अनुगुल शहर के पास रंतलेई नामक एक गांव है। 1952 के आसपास वहां एक 14-15 वर्ष के किशोर को बाबा बना दिया गया। उसे स्थानीय मारवाड़ियों और व्यापारियों का सरंक्षण मिला हुआ था।हर तरह के रोग तथा विकलांगता बाबा की दवा से ठीक हो जाती है,यह प्रचार हो गया था।मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से काफी पीड़ित रंतलेई पहुंचने लगे।मेले में व्यापारियों की कमाई होने लगी।इस इलाके की मशहूर समाज सेवी मालती चौधरी को परिस्थिति चिंताजनक लगी।वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की ओडीशा में संस्थापकों में थीं। 1946 में प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष थी तथा संविधान सभा की सदस्य भी थीं ।दलित और आदिवासी बच्चों के लिए एक छात्रावास उसी इलाके में चलाती थीं।उन्होंने इस बाबा की चिकित्सा पर संदेह जताया तो बाबा के प्रायोजकों ने कहा कि इस वजह से मालतीदेवी के पांव में कीड़े पड़ गए हैं।गांव की कुछ महिलाएं पता करने आईं तब वे बर्तन साफ कर रही थीं।महिलाओं ने उनके पांव देखे और अफवाह के बारे में बताया।मालती देवी ने अपने पति नवकृष्ण चौधरी को हस्तक्षेप करने को कहा।वे तब ओडीशा के मुख्य मंत्री थे।उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था का उल्लंघन न होने पर हस्तक्षेप न होगा।बाबा के पास भीड़ इतनी होने लगी थी कि वहां हैजा फैलने लगा।तत्कालीन गवर्नर भी अपने पांव की विकलांगता को दिखाने नेपाली बाबा के पास पहुंचे थे।बहरहाल मालतीदेवी अपने दो युवा साथियों जगन्नाथ दास तथा दिवाकर प्रधान के साथ नेपाली बाबा के पास पहुंची और उससे कहा कि तुम्हारे जुटाए मेले से हैजा फैल रहा है और 400 के करीब लोग मर चुके हैं,इसलिए यह बन्द करो।नेपाली बाबा किशोर था उसके बदले उसके पृष्ठपोषक बोले,’यह कलकि है।जो हैजे से मर रहे हैं वे पापी हैं।’इस पर मालती देवी ने कहा कि एक थप्पड़ से इसका इलाज हो जाएगा’! जगन्नाथ दास ने इतने में एक थप्पड़ जड़ ही दिया।बाबा भागा और एक पेड़ पर चढ़ गया।जगन्नाथ दास शांति निकेतन में नंदलाल बसु के शिष्य थे तथा अनुगुल के बेसिक ट्रेनिंग कॉलेज में कला शिक्षक थे।

कानून-व्यवस्था का मामला बना तो पुलिस बाबा को जेल ले गई।शीघ्र ही वह रिहा हुआ।कुछ वर्ष बाद किसी अन्य मामले में वह जेल गया।जेल में उसकी मृत्यु हुई।

राम रहीम के भक्तों का ताण्डव देखने के बाद मालतीदेवी की बेटी श्रीमती कृष्णा मोहंती से किस्सा सुना।उन्हें राम रहीम के बारे में नहीं पता था।सुनने पर बताया कि ओडीशा में ऐसे दो तीन बाबा अभी जेल में हैं।

कृष्णा जी मेरी प्रिय मौसी हैं।

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गाय

इस कविता से हर उर्दू सिखने वाले ने ऊर्दू  का पाठ पढना शुरू किया है। इसे इस्माइल मेरठी ने 1858 मे  लिखा था …अगर मेरे किसी भाई के पास इससे अच्छी कविता हो तो जरूर बताये। गाय से बेइंतहा प्यार हुए बगैर ऐसी कविता असंभव है। पढ़िए-

****

रब का शुक्र अदा कर भाई 

ज़िस ने हमारी गाय बनाई 

उस मालिक को क्योंना पुकारे 

जिसने पिलाए दूध की  धारे 

ख़ाक को उसने सब्ज़ बनाया 

सब्ज़ को फिर इस गाय ने  खाया 

कल जो घास चरी थी वन में 

दूध बनी वो गाय के थन में 

सुभान अल्लाह  दूध है कैसा 

ताजा, गरम, सफेद और मीठा 

दूध में भीगी रोटी मेरी 

उसके करम ने बख्शी सेहरी 

दूध, दही और मट्ठा मसका

दे ना खुदा तो किसके बस का

गाय को दी क्या अच्छी सूरत

खूबी की हैं गोया मूरत 

दाना, दुनका, भूसी, चोकर 

खा लेती है सब खुश होकर 

खाकर तिनके और ठठेरे 

दूध है देती शाम सबेरे 

क्या गरीब और कैसी प्यारी 

सुबह हुई जंगल को सिधारी 

सब्ज़ से ये मैदान हरा है 

झील में पानी साफ भरा है 

पानी मौजें मार रहा है 

चरवाहा पुचकार रहा है 

पानी पीकर .चारा चरकर 

शाम को आई अपने घर पर 

दोरी में जो दिन है काटा

बच्चे को किस प्यार से चाटा

गाय हमारे हक में नेमत 

दूध है देती खा के बनस्पत 

बछड़े इसके बैल बनाएं

जो खेती के काम में आएं

रब की हम्द-ओ-सना कर भाई 

जिसने  ऐसी गाय बनाई ।

**

यह नज्म आज भी उर्दू की हर पहली किताब का सबक है । गाय की तारीफ़ में ऐसी दूसरी कविता शायद ही मिले।

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चलो दिल्ली ! – श्यामनारायण पाण्डेय

आज नेताजी की जन्म तिथि है। उन्होंने रंगून से ‘चलो दिल्ली’ का जब आवाहन किया था तब श्यामनारायण पांडे ने कविता लिखी थी। अंग्रेजों ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था। मैंने ’74 के आसपास याद की थी।एक लाइन भूला हूँ,किसी को याद हो तो बता दें,आभारी रहूँगा।
रगों में खूँ उबलता है,
हमारा जोश कहता है।
जिगर में आग उठती है,
हमारा रोष कहता है।
उधर कौमी तिरंगे को,
संभाले बोस कहता है।
बढ़ो तूफ़ान से वीरों,
चलो दिल्ली ! चलो दिल्ली!
अभी आगे पहाड़ों के,
यहीं बंगाल आता है,
हमारा नवगुरुद्वारा,
यही पंजाब आता है।
जलाया जा रहा काबा,
लगी है आग काशी में,
युगों से देखती रानी,
हमारी राह झांसी में।
जवानी का तकाजा है,
रवानी का तकाजा है,
तिरंगे के शहीदों की
कहानी का तकाजा है।
बुलाती है हमें गंगा,
बुलाती घाघरा हमको।
हमारे लाडलो आओ,
बुलाता आगरा हमको।
…… ने पुकारा है,
हमारे देश के लोहिया,
उषा, जय ने पुकारा है।
गुलामी की कड़ी तोड़ो,
तड़ातड़ हथकड़ी तोड़ो।
लगा कर होड़ आंधी से,
जमीं से आसमां जोड़ो।
शिवा की आन पर गरजो,
कुँवर बलिदान पर गरजो,
बढ़ो जय हिन्द नारे से,
कलेजा थरथरा दें हम।
किले पर तीन रंगों का,
फरहरा फरफरा दें हम।
– श्यामनारायण पांडे।

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सरकारी पदाधिकारियों से निवेदन किया अपने बच्चे सरकारी स्कूलों में पढाएं, इलाज सरकारी अस्पतालों में कराएँ

इटारसी, 27 जनवरी 2014.
होशंगाबाद जिले के नागरिकों ने एक अनूठी मांग करते हुए आज इटारसी में एक नया अभियान शुरू किया. उन्होंने एक जुलुस निकाला, तहसील दफ्तर गए और सरकार में बैठे तमाम पदाधिकारियों को संबोधित एक निवेदन सौंपा. इसमें अनुरोध किया गया कि आप अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजें और अपने परिवार का इलाज सरकारी अस्पताल में कराएँ. क्योंकि इनकी हालत सुधारने का और कोई तरीका नहीं है. जबसे बड़े और प्रभावशाली लोगों के परिवारों ने सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में जाना बंद कर दिया है तब से इनकी हालत बिगड़ती गई है. इससे साधारण जनता अच्छी शिक्षा और इलाज से वंचित हो गई है. यदि सत्ता में बैठे लोग इनका उपयोग करेंगे तो उन्हें इनकी दुर्दशा का अहसास होगा और इनकी हालत सुधारने का दबाव बनेगा. जब उनके बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी और उनके परिवारों का इलाज ठीक से नहीं होगा व उन्हें सरकारी अस्पतालों की बुरी हालत का शिकार होना पड़ेगा तब उन्हें समझ में आयेगा.

यह निवेदन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, तमाम बड़े अफसरों, जिला कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदारों सबको संबोधित था. इस मौके पर एक परचा भी बांटा गया जिसमे शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन के तमाम क्षेत्रों में भेदभाव तथा गैरबराबरी का विरोध किया गया. इसमें पडोसी स्कूल पर आधारित साझा-समान स्कूल प्रणाली की मांग की गई जिसमे अमीर-गरीब सब बच्च्चे एक ही स्कूल में पढ़ें. शिक्षा और चिकित्सा के बाजारीकरण, व्यवसायीकरण और मुनाफाखोरी को रोकने की भी मांग की गई. इसी के साथ ‘भेदभाव विरोधी अभियान’ की शुरुआत हुई.

जुलुस में नारे लगाए जा रहे थे—‘राष्ट्रपति हो या चपरासी की संतान, सबकी शिक्षा एक समान’, ‘सबकी शिक्षा एक समान, मांग रहा है हिंदुस्तान’, ‘शिवराज अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढाओ’, ‘सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस बंद करो’ आदि.

इस मौके पर अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच के अध्यक्ष मंडल के सदस्य श्री सुनील ने कहा कि कल ही हमने देश का चौवनवा गणतंत्र दिवस मनाया. लेकिन संविधान में दर्ज समानता और जिन्दा रहने का अधिकार देश की जनता को आज तक नहीं मिल पाया. शिक्षा और स्वास्थ्य के अधिकार के बिना लोग जिन्दा कैसे रहेंगे? उन्होंने खंडवा कलेक्टर को बधाई दी जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं. सेवानिवृत शिक्षिका दीपाली शर्मा, जिला पंचायत सदस्य श्री फागराम, अधिवक्ता श्री ओमप्रकाश रायकवार, शिक्षक श्री ब्रजमोहन सोलंकी, नारी जागृति मंच की पुष्पा ठाकुर, ममता सोनी, ममता मालवीय और प्रतिभा मिश्रा, ‘आप’ पार्टी के श्री गुप्ता आदि कई लोग बड़ी संख्या में इसमें शामिल हुए. उन्होंने इस ‘भेदभाव विरोधी अभियान’ को आगे बढाने का संकल्प लिया. सञ्चालन जिला शिक्षा अधिकार मंच के अध्यक्ष श्री राजेश व्यास ने किया.

इस कार्यक्रम का आयोजन जिला शिक्षा अधिकार मंच और नारी जागृति मंच ने मिलकर किया था.

राजेश व्यास,

अध्यक्ष, जिला शिक्षा अधिकार मंच

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2013 में मेरा ब्लॉग ‘शैशव’

The WordPress.com stats helper monkeys prepared a 2013 annual report for this blog.

Here’s an excerpt:

The concert hall at the Sydney Opera House holds 2,700 people. This blog was viewed about 20,000 times in 2013. If it were a concert at Sydney Opera House, it would take about 7 sold-out performances for that many people to see it.

Click here to see the complete report.

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मेरा शहर मुज्ज़फर नगर : हिमांशु कुमार

एक दफा किसी शायर ने मुज्ज़फर नगर के बारे में बोला कि

ना सीरत, ना सूरत,ना इल्मो हुनर
अजब नाम है ये मुज़फ्फ़र नगर

मुज़फ्फर नगर के एक शायर से ना रहा गया और उसने जवाब दे मारा

अबे उल्लू पट्ठे तुझे क्या ख़बर
हसीनों का घर है मुज़फ्फ़र नगर

मैं भी मुजफ्फ़र नगर का पुराना बाशिंदा हूँ।

हमारा घर चुंगी नम्बर दो के पास है। कुछ दूर से ही गाँव शुरू हो जाते थे।

हमारे घर के सामने एक मैदान था। उसमे कभी कभी झूले वाले हिंडोले और घोड़े और कुर्सी लगे चकरी वाले झूले लेकर आते थे। झूले वाला पांच पैसे या एक रोटी लेकर झूला झुलाता था ।

लेकिन हम तो दिन भर झूलना चाहते थे। पर दिन भर पैसे कौन देता ? हम नज़र बचा कर घर से रोटी चुरा कर झूले वाले को दे देते थे और झूला झूलते थे।

मेरे पड़दादा उत्तर प्रदेश में स्वामी दयानन्द के प्रथम शिष्य थे। दयानन्द जी मुज़फ्फर नगर में हमारे घर में ठहरते थे।

मेरे पडदादा ने ‘अजीब ख्वाब’ नाम से उर्दू में एक किताब लिखी थी। जिसका विषय सर्व धर्म समभाव था।

हमारे ताऊ ब्रह्म प्रकाश जी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और वकील थे। ताऊ जी बड़े नामी नेता थे। जिला परिषद् के अध्यक्ष थे। बहुत बार जेल गए। नेहरु जी , जयप्रकाश जी , चन्द्रशेखर जी घर पर आते थे। ।

कुछ साल पहले मुज़फ्फर नगर की कचहरी में प्रशासन ने ताऊ जी के नाम पर एक द्वार बनाया है।

हमारे ताउजी को सभी अब्बा जी के नाम से जानते थे । ये नाम उनके मुस्लिम मुंशी जी के बेटे द्वारा दिया गया था।

हमारे घर के सामने रशीद ताऊ जी रहते थे। उनकी बसें चलती थीं। हमने सुना था कि बंटवारे के वख्त रशीद ताउजी पकिस्तान जाने लगे तो उन्हें अब्बाजी यानी ब्रह्म प्रकाश जी ने जाने से रोक लिया था और बस खरीदने में मदद करी। बाद में उनका बस का काम अच्छे से चलने लगा।

रशीद ताउजी की बस में बैठ कर सभी लोग कलियर शरीफ जाते थे।

हमारा घर नामी घर माना जाता था। हांलाकि आज लिहाज़ से देखें तो रहन सहन बिलकुल सादा था। गर्मी लगे तो हाथ पंखे से हवा कर लेते थे।ताऊ जी कचहरी साइकिल पर जाते थे। ताऊ जी कभी रिक्शे पर नहीं बैठते थे। उनका मानना था की को खींचे कोई अच्छी बात नहीं है। घर में एक रेडियो था जो सिर्फ सुबह ख़बरों वख्त खुलता था। एक हैण्ड पम्प था। घर में किसी को ठंडा पानी चाहिए होता था तो घर के लड़कों को कहा जाता था की चालीस नम्बर का पानी लाओ। मतलब पहले चालीस बार हैण्ड पम्प चलाओ फिर एक गिलास पानी भर कर पिलाओ।

लड़कों से खूब काम लिया जाता था। एक ख़त रजिस्ट्री से भेजना हो तो चार किलोमीटर हमें दौड़ा दिया जाता था।

एक बार मैं , मेरा हमउम्र भतीजा और मेरे चचेरे भाई गन्ने खाने के इरादे से साइकिलों पर गाँव की तरफ निकल गए। गन्ने तोड़ कर अभी खेत से निकल ही रहे थे की खेत वाले ने पकड़ लिया। आस पास के खेत वाले भी जमा हो गए।

हमने सोचा अपने ताउजी का नाम बता देते हैं उन्हें तो सब जानते हैं। हमने जैसे ही अपने ताउजी का नाम बताया वो खेत वाला तो उछल पड़ा बोला की अरे इस वकील ने ही तो मेरे भाई को एक केस में उम्र कैद करवाई थी। आज अच्छा हुआ तुम लोग पकड़ में आ गए।

अब हम तीनों बहुत घबराए। खेत वाला थोडा दूर खडा होकर हमारे अंजाम के बारे में विचार कर ही रहा था तभी हम लोगों ने आँखों ही आँखों में एक दूसरे को इशारा किया और साइकिल उठा कर भाग लिए।

मेरे वो भाई साहब अब सीआरपीऍफ़ में अफसर हैं , मेरा वो भतीजा अभी कनाडा में है।

बचपन में मैं अपने दोस्त भोले और छोटे के साथ स्कूल से गायब हो जाता था और हम तीनों दोस्त काली नदी में दिन भर नहाते रहते थे। लौटते समय टीले पर बने मन्दिर में जाकर कुछ प्रसाद खाने के लिए जाते थे। मन्दिर सुनसान पड़ा रहता था।

मेरा दोस्त भोला भगवान् से बहुत डरता था। लेकिन मैं और छोटा भोले की मज़ाक बनाते थे। हम भोले को चुनौती देते थे कि ले हम मन्दिर में भगवान् को गाली दे रहे हैं। देखते हैं तेरा भगवान् हमारा क्या कर लेगा ? हम भगवान को चिल्ला चिल्ला कर गाली देते थे।भोला हमारी गलती के लिए मूर्तियों से माफी मांगता रहता था।

स्कूल की छुट्टी के समय हम लोग घर आ जाते थे। अपने गीले कच्छे सडक पर से ही छत पर फ़ेंक देते थे। और बेफिक्र घर में घुस जाते थे। एक दिन हमारे कच्छे छत पार कर के आँगन में आ गिरे। सारा भेद खुल गया। डांट पड़ी पर परवाह कौन करता था ? हमारा नदी जाना कम नहीं हुआ।

जब हम पढ़ते थे तो हाई स्कूल के बहुत से लड़के चाकू रखते थे। कुछ के पास देसी कट्टे भी रहते थे। चाकूबाजी की घटनाएँ अक्सर होती रहती थीं।

मुज़फ्फर नगर शहर के एक किनारे काली नदी बहती है। नदी के किनारे दलितों की बस्ती थी। इस बस्ती के लड़कों से हम बहुत डरते थे। वे अक्सर हमें बिना वजह पीट देते थे। हम शरम की वजह से अपने पिटने की बात किसी को नहीं बताते थे।
शुगन चन्द्र मजदूर नाम के एक बड़े नेता उसी बस्ती में रहते थे।वे अक्सर ताउजी से मिलने आते थे।अंग्रेज़ी राज में शुगन चन्द्र मजदूर और उनके साथियों ने एक दफा कलेक्टर आफिस पर कब्ज़ा कर लिया और शहर को अंग्रेज़ी राज से आज़ाद घोषित कर दिया और लोगों से कहने लगे कि लाओ हम दरख्वास्त पर मंजूरी के दस्तखत कर देते हैं। पुलिस ने शुगन चन्द्र मजदूर और उनके साथियों को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया।

मुज़फ्फर नगर एक अमीर शहर है। यहाँ की प्रति व्यक्ति आय भारत में त्रिवेन्द्रम के बाद सबसे ज्यादा है। और अपराधों में मुज़फ्फर नगर काफी ऊँचे पायदान पर है। मुज़फ्फर नगर गूड और खांडसारी की एशिया की सबसे बड़ी मंडी है। मुज़फ्फर नगर में हर गाँव में कई कई कोल्हू , हज़ारों पावर क्रेशर और कई शुगर मिलें हैं। मुज़फ्फर नगर में बड़ी संख्या में पेपर मिलें और स्टील रोलिंग मिलें हैं .

लगता है कि समाज में हर जगह सही बातों को फैलाने वाले लोगों को ज़रूर काम करते रहना चाहिए।क्योंकि सिर्फ आर्थिक विकास किसी भी समाज के विकसित होने की गारंटी नहीं है। यह बात मुज़फ्फर नगर के हालिया दंगों से साफ़ हो गयी है।

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वाह ! गिलहरी क्या कहने

वाह! गिलहरी क्या कहने

वाह ! गिलहरी क्या कहने

वाह ! गिलहरी क्या कहने !
धारीदार कोट पहने ।
पूंछ बड़ी-सी झबरैली,
काली – पीली – मटमैली ।
डाली – डाली फिरती है ,
नहीं फिसल कर गिरती है ॥

[ चिल्ड्रेन्स बुक ट्रस्ट की ‘नन्हे-मुन्नों के गीत’ से साभार ]

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‘भारतीय जनता की मां को श्रद्धांजलि / सुभाषचन्द्र बोस’

पिछले साल किसी ने भारत सरकार से पूछा ,’भारत का कोई राष्ट्रपिता भी है ?’ अधिकारिक तौर पर जवाब मिला कि सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया। सरकार के जवाब से उत्साहित होकर कुछ लोगों ने इसका खूब प्रचार किया । सरकार अगर प्रश्नकर्ता को सही जवाब देना चाहती तो उसे राष्ट्रीय आन्दोलन की दो विभूतियों को तरजीह देनी पड़ती। पहले व्यक्ति वे जिन्होंने किसी को राष्ट्रपिता कहा और दूसरे वे जिन्हें यह संबोधन दिया गया।
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने बर्मा से राष्ट्र के नाम रेडियो-प्रसारण में ‘चलो दिल्ली’ का आवाहन किया और वैसे ही एक प्रसारण में गांधीजी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया। यहां नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का २२ फरवरी का बयान पुनर्प्रकाशित कर रहा हूं। इस बयान में उन्होंने कस्तूरबा को ‘भारतीय जनता की मां’ कहा है।
(२२ फरवरी , १९४४ को श्रीमती कस्तूरबा गांधी के निधन पर दिया गया वक्तव्य)

    श्रीमती कस्तूरबा गांधी नहीं रहीं । ७४ वर्ष की आयु में पूना में अंग्रेजों के कारागार में उनकी मृत्यु हुई । कस्तूरबा की की मृत्यु पर देश के अड़तीस करोड़ अस्सी लाख और विदेशों में रहने वाले मेरे देशवासियों के गहरे शोक में मैं उनके साथ शामिल हूं । उनकी मृत्यु दुखद परिस्थितियों में हुई लेकिन एक गुलाम देश के वासी के लिए कोई भी मौत इतनी सम्मानजनक और इतनी गौरवशाली नहीं हो सकती । हिन्दुस्तान को एक निजी क्षति हुई है । डेढ़ साल पहले जब महात्मा गांधी पूना में बंदी बनाए गए तो उसके बाद से उनके साथ की वह दूसरी कैदी हैं , जिनकी मृत्यु उनकी आंखों के सामने हुई । पहले कैदी महादेव देसाई थे , जो उनके आजीवन सहकर्मी और निजी सचिव थे। यह दूसरी व्यक्तिगत क्षति है जो महात्मा गांधी ने अपने इस कारावास के दौरान झेला है ।
    इस महान महिला को जो हिन्दुस्तानियों के लिए मां की तरह थी , मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और इस शोक की घड़ी में मैं गांधीजी के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं । मेरा यह सौभाग्य था कि मैं अनेक बार श्रीमती कस्तूरबा के संपर्क में आया और इन कुछ शब्दों से मैं उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूंगा । वे भारतीय स्त्रीत्व का आदर्श थीं , शक्तिशाली, धैर्यवान , शांत और आत्मनिर्भर। कस्तूरबा हिन्दुस्तान की उन लाखों बेटियों के लिए एक प्रेरणास्रोत थीं जिनके साथ वे रहती थीं और जिनसे वे अपनी मातृभूमि के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मिली थीं । दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह के बाद से ही वे अपने महान पति के साथ परीक्षाओं और कष्टों में शामिल थीम और यह सामिप्य तीस साल तक चला । अनेक बार जेल जाने के कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित हुआ लेकिन अपने चौहत्तरवे वर्ष में भी उन्हें जेल जाने से जरा भी डर न लगा । महात्मा गांधी ने जब भी सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया,उस संघर्ष में कस्तूरबा पहली पंक्ति में उनके साथ खड़ी थीं हिन्दुस्तान की बेटियों के लिए एक चमकते हुए उदाहरण के रूप में और हिन्दुस्तान के बेटों के लिए एक चुनौती के रूप में कि वे भी हिन्दुस्तान की आजादी की लड़ाई में अपनी बहनों से पीछे नहीं रहें ।
    कस्तूरबा गांधी

    कस्तूरबा गांधी


    कस्तूरबा एक शहीद की मौत मरी हैं । चार महीने से अधिक समय से वे हृदयरोग से पीड़ित थीं । लेकिन हिन्दुस्तानी राष्ट्र की इस अपील को कि मानवता के नाते कस्तूरबा को खराब स्वास्थ्य के आधार पर जेल से छोड़ दिया जाए , हृदयहीन अंग्रेज सरकार ने अनसुना कर दिया । शायद अंग्रेज यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि महात्मा गांधी को मानसिक पीड़ा पहुंचा कर वे उनके शरीर और आत्मा को तोड़ सकते थे और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर सकते थे । इन पशुओं के लिए मैं केवल अपनी घृणा व्यक्त कर सकता हूं जो दावा तो आजादी , न्याय और नैतिकता का करते हैं लेकिन असल में ऐसी निर्मम हत्या के दोषी हैं । वे हिन्दुस्तानियों को समझ नहीं पाए हैं । महात्मा गांधी या हिन्दुस्तानी राष्ट्र को अंग्रेज चाहे कितनी भी मानसिक पीड़ा या शारीरिक कष्ट दें , या देने की क्षमता रखें, वे कभी भी गांधीजी को अपने अडिग निर्णय से एक इंच भी पीछे नहीं हटा पाएंगे । महात्मा गांधी ने अंग्रेजों हिन्दुस्तान छोड़ने को कहा और एक आधुनिक युद्ध की विभीषिकाओं से इस देश को बचाने के लिए कहा । अंग्रेजों ने इसका ढिठाई और बदतमीजी से जवाब दिया और गांधीजी को एक सामान्य अपराधी की तरह जेल में ठूस दिया । वे और उनकी महान पत्नी जेल में मर जाने को तैयार थे लेकिन एक परतंत्र देश में जेल से बाहर आने को तैयार नहीं थे । अंग्रेजों ने यह तय कर लिया था कि कस्तूरबा जेल में अपने पति की आंखों के सामने हृदयरोग से दम तोड़ें । उनकी यह अपराधियों जैसी इच्छा पूरी हुई है , यह मौत हत्या से कम नहीं है । लेकिन देश और विदेशों में रहने वाले हम हिन्दुस्तानियों के लिए श्रीमती कस्तूरबा की दुखद मृत्यु एक भयानक चेतावनी है कि अंग्रेज एक-एक करके हमारे नेताओं को मारने का ह्रुदयहीन निश्चय कर चुके हैं। जब तक अंग्रेज हिन्दुस्तान में हैं , हमारे देश के प्रति उनके अत्याचार होते रहेंगे। केवल एक ही तरीका है जिससे हिन्दुस्तान के बेटे और बेटियां श्रीमती कस्तूरबा गांधी की मौत का बदला ले सकते हैं, और वह यह है कि अंग्रेजी साम्राज्य को हिन्दुस्तान से पूरी तरह नष्ट कर दें। पूर्वी एशिया में रहने वाले हिन्दुस्तानियों के कंधों पर यह एक विशेष उत्तरदायित्व है , जिन्होंने हिन्दुस्तान के अंग्रेज शासकों के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेड़ दिया है। यहां रहने वाले सभी बहनों का भी उस उत्तरदायित्व में भाग है । दुख की इस घड़ी में हम एक बार फिर उस पवित्र शपथ को दोहराते हैं कि हम अपना सशस्त्र संघर्ष तब तक जारी रखेंगे , जब तक अंतिम अंग्रेज को भारत से भगा नहीं दिया जाता ।
    (नेताजी संपूर्ण वांग्मय,पृ.१७७,१७८,टेस्टामेंट ऑफ सुभाष बोस, पृ. ६९-७० )

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दीवाली पर एक प्रार्थना : अल्लामा इक़बाल

लब[1] पे आती है दुआ[2] बनके तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शम्मा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी

दूर दुनिया का मेरे दम से अँधेरा हो जाये
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये

हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की ज़ीनत[3]
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत

ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या-रब
इल्म[4] की शम्मा से हो मुझको मोहब्बत या-रब

हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत[5] करना
दर्द-मंदों से ज़इफ़ों[6] से मोहब्बत करना

मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझको.
– अल्लामा इक़बाल

शब्दार्थ:

1. ↑ अधर
2. ↑ प्रार्थना
3. ↑ शोभा
4. ↑ विद्या
5. ↑ सहायता
6. ↑ बूढ़ों

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