दीवाली पर एक प्रार्थना : अल्लामा इक़बाल

लब[1] पे आती है दुआ[2] बनके तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शम्मा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी

दूर दुनिया का मेरे दम से अँधेरा हो जाये
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये

हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की ज़ीनत[3]
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत

ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या-रब
इल्म[4] की शम्मा से हो मुझको मोहब्बत या-रब

हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत[5] करना
दर्द-मंदों से ज़इफ़ों[6] से मोहब्बत करना

मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझको.
– अल्लामा इक़बाल

शब्दार्थ:

1. ↑ अधर
2. ↑ प्रार्थना
3. ↑ शोभा
4. ↑ विद्या
5. ↑ सहायता
6. ↑ बूढ़ों

3 टिप्पणियां

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3 responses to “दीवाली पर एक प्रार्थना : अल्लामा इक़बाल

  1. दीपोत्सव पर्व के अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ….

  2. यशवन्त माथुर


    कल 16/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

  3. shobha gupta

    बहुत खुबसूरत गीत, धन्यवाद

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