वाह ! गिलहरी क्या कहने !
धारीदार कोट पहने ।
पूंछ बड़ी-सी झबरैली,
काली – पीली – मटमैली ।
डाली – डाली फिरती है ,
नहीं फिसल कर गिरती है ॥
[ चिल्ड्रेन्स बुक ट्रस्ट की ‘नन्हे-मुन्नों के गीत’ से साभार ]
वाह ! गिलहरी क्या कहने !
धारीदार कोट पहने ।
पूंछ बड़ी-सी झबरैली,
काली – पीली – मटमैली ।
डाली – डाली फिरती है ,
नहीं फिसल कर गिरती है ॥
[ चिल्ड्रेन्स बुक ट्रस्ट की ‘नन्हे-मुन्नों के गीत’ से साभार ]
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Pyari Kavita
वाह, बहुत सुन्दर कविता है। अब मुझे अपनी नतिनी तन्वी के लिए ढेरों ऐसी कविताओं, लोरियों व कहानियों, खेलों की आवश्यकता है। आपसे व अन्य सभी मित्रों से अनुरोध है कि ऐसी कोई भी रचना मिले तो उसकी लिंक या पुस्तक का नाम पता अवश्य दें।
आभार।
घुघूती बासूती
mujhe kavita aur kahaniya padne ka bara shok hai.aisi aur kavita aur chutakle net par bhejate rahe.
चीटी रानी चीटी रानी क्यों करती हो मन मानी, सारा लड्डू खा जाती पीती नही जरा भी पानी