[ मीनाक्षी पय्याडा के माता – पिता दोनों शुद्ध मलयाली हैं , यानी केरलवासी । उसकी माँ , केरल के कन्नूर जिले में केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षिका है इसलिए मीनाक्षी को अपने स्कूल ( केन्द्रीय विद्यालय) में हिन्दी पढ़ने का मौका मिला। मीनाक्षी को अब तक किसी हिन्दी भाषी राज्य की यात्रा का मौका नहीं मिला है । हमारे दल , समाजवादी जनपरिषद के हाल ही में धनबाद में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में मीनाक्षी के पिता हिन्दी में लिखी उसकी यह प्यारी सी कविता साथ लाये थे । – अफ़लातून ]

काले बादल
काले बादल
आओ बादल , काले बादल
बारिश हो कर आओ बादल
सरिता और सागर को भरो पानी से ।
मैं संकल्प करती हूँ
तुम्हारे साथ खेलने का ,
पर तुम आए तो नहीं ?
आओ बादल , तुम आसमान में घूमते फिरते
पर मेरे पास क्यों नहीं आते ?
तुम यहाँ आ कर देखो
कि ये बूँदें कितनी सुन्दर हैं ।
क्या मजा है आसमान में
तुम भी मन में करो विचार ।
आओ बादल , काले बादल ।
– मीनाक्षी पय्याडा ,
उम्र – १० वर्ष , कक्षा ५,
केन्द्रीय विद्यालय ,
’ चन्द्रकान्तम’ ,
पोस्ट- चोव्वा ,
जि. कन्नूर – ६
केरलम
कविता वाकई प्यारी हैं |
आप का लगाया गया घटाओं का चित्र भी लाजवाब हैं |
मेरी ओरसे मीनाक्षी व उसके पिता-माता, सबको विशेष बधाई कहें |
स्वाति
वाह वाह!
बहुत खूब!
ला.
सुंदर भाव अभिव्यक्त किए गए हैं इस कविता में। इस का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि इसे एक मलयालीभाषी 10 वर्षीय बालिका ने हिन्दी में रचा है।
मीनाक्षी की कविता बहुत अच्छी है . चित्र भी चाक्षुष कविता ही है .
Excellent, bahut hi achhi kavita hai.
my good wishes
Bahut badhiya………
बहुत अच्छी लगी कविता…
यह जानकर और कि यह १० वर्ष के मासूम का सौंदर्यबोध है…
पहली बात – कि वह वस्तु बिंबों की जिम्मेदारियों को समझती है, वह चाह्ती है कि वे अपना काम निबटाएं, बखूबी निबटाएं…बारिश कर, सरिता और सागर को भरकर…उसके बाद आएं बादल…थोड़ा विश्राम के लिए…खेल और आनंद के लिए…तभी दोनों सच्चा सुख़ पा सकते हैं…और यह उसका संकल्प है कि उसे वह मिलेगा…आए तो सही…
उलाहना तो अपनी जगह है ही…
फिर जब मीनाक्षी कहती है कि चलो यही देखलो आकर कि ये बूंदे कितनी सुंदर हैं….यहां अपनी जुंबिशों के परिणाम, अपनी कृति को ख़ुद जांचने और संतोष का आनंद महसूस करने के आव्हान का जो भाव है…वह प्रभावित करता है…
जीवन और प्रकृति से जुड़ी इस यथार्थ सौंदर्याभिव्यक्ति को बधाई….
पिंगबैक: इस चिट्ठे की टोप पोस्ट्स ( गत चार वर्षों में ) « शैशव
very beautiful poem, amazing
this poem is just like real
really it’s mindblowing poem,it’s really nice and thanks to poet
such an inspiring poem it is!!!!!!!!!
got my answer.