इस बगीचे की क्यारियों में इस बार एक गजब की बेतरतीब आवरगी पसरी हुई है । ‘अंतर्गृही – यात्रा’ कर रही महिलाएं चन्दन शहीद और आदि केशव के बीच वरुणा-गंगा के संगम की रेत पर जैसे अपनी चटक रंगों की साड़ियाँ दूर-दूर तक फैला देती हैं ।
यह छोटी कलमी ‘आम्रपाली’ भी पहली बार यूँ बौराई है ।
इसी को नैसर्गिक सौन्दर्य कहते हैं । स्वास्थ्य लाभ के लिए इससे सुन्दर और सही जगह कौन सी हो सकती है !
घुघूती बासूती
काश ऐसे बगीचों के आसपास रहने का आनंद मिल पाता!!!
kya baat hai sir , aapkee post ne to hamare jeevan mein hariyaalee aur rangeeniyon ko badhaa diya.
ऐसी फुलवारी देख देख कर जल्दी से जल्दी स्वस्थ्य हो जाइए ….मंगलकामनाएं।
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