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गूगल ने कर दिया मण्ठा

बुझौव्वल की सोर में मण्ठा डाल दिया गूगल ने । शहरी पाठकों को बताना पड़ेगा कि सोर कहते हैं जड़ को और यह किंवदन्ती है कि पौधे की जड़ में मठ्ठा या मण्ठा डाल देने पर वह जल जाता है,उसका नाश हो जाता है। भाग लेने वाले तीन मित्रों ने खुद बताया कि गूगल से उन्हें जवाब देने में मदद मिली । जिन्होंने ने सहारा नहीं लिया या सहारा लेने की सोच ही न पाए उन्हें यह लगना लाजमी है कि उनके साथ नाइंसाफी हुई । दरअसल प्रश्नकर्ता को अपना कौशल इसमें दिखाना था कि उसके सवाल मशीन से उगलवाना सहज न हो।जिन्होंने गूगल से मदद ली उन्होंने अनुचित नहीं किया ।

    १११ लोगों ने बुजौव्वल को देखा , ८ ने जवाब दिए , कुछ ने सवाल कठिन होने की शिकायत की । परिणाम :

    प्रथम स्थान : जीतू उर्फ़ जीतेन्द्र चौधरी , धुरविरोधी उर्फ … , v9y उर्फ विनय जैन तथा अभिषेक ओझा

    द्वितीय स्थान : सागर चन्द नाहर

    तृतीय स्थान : नितिन बागला तथा प्रमेन्द्र कुमार सिंह

    चतुर्थ स्थान : अन्नपूर्णा

   कुछ भागीदार वरिष्ठ साथियों ने चेताया है कि पुरस्कार भेजो वर्ना भाग नहीं लेंगे ! विविध – भारती को काएदे से पुरस्कार प्रायोजित करने चाहिए स्वर्ण जयन्ती वर्ष के मद्दे नज़र ।

    सभी प्रतिभागियों के उत्तर अतिशीघ्र मूल प्रवि्ष्टी की टिप्पणियों में देखे जा सकेंगे,यहाँ

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एक बुझौव्वल फ़िल्मों पर

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    पिछले बुझौव्वल के बाद कई चिट्ठेकार साथियों ने मनोविनोद की इस स्पर्धा को जारी रखने की माँग की । पाठकों की माँग सिर -आँखों पर । अलबत्ता , इस बार की स्पर्धा में सवाल एक चिट्ठेकार साथी ने भेजे हैं ।

    यह दोहरा दूँ कि उत्तर सिर्फ़ टिप्पणी के तौर पर दिए जा सकते हैं । प्रश्नों के जवाबों से अलग टिप्पणियाँ भी सिर माथे पर।जैसे सागर भाई ने पिछली बार टिपिया कर पूछा, ‘ अता – पता ?’ सागर भाई , इस बार सवाल के एक हिस्से में अता-पता भी होगा।

    घुघूती और प्रमेन्द्र ने कहा कि प्रश्न कठिन थे । इस बार कुछ ‘ दूध – भात ‘ टाइप सवाल भी रखे गए हैं।

   ‘ दाल- भात ‘ वाले अभय भाई जवाब ‘ दूध – भात ‘ समझ कर बिन्दास देते हैं। उनकी खेल भावना के हम कायल हो गए । याद आ गया जब कक्षा ४ में कक्षा ११ के लड़कों के साथ एक मील की दौड़ में हमने भाग लिया था और दौड़ पूरी की थी ।

    प्रश्न १ . संगीतकार आनन्द- घन का मूल नाम क्या है ?

    प्रश्न २ .  ‘ ये मुंह , मसूर की दाल ‘  यह गीत किस फिल्म का है ?

    प्रश्न ३ .  ‘ तेरी गलियों में हम आए , दिल ये अरमानों भरा लाए ‘ इसे किस – किस ने गाया है और फिल्म कौन सी थी ?

    प्रश्न ४ .   ‘ फिर सुबह होगी ‘ यह फिल्म किस उपन्यास के आधार पर बनी थी ?

    प्रश्न ५ .  ‘सत्यम , शिवम , सुन्दरम ‘ इस गीत के गीतकार का नाम बतायें ।

    प्रश्न ६ . ‘ तूफ़ान मेल ये दुनिया ‘ इस गीत को किसने गाया है ?

    प्रश्न ७ . ‘कोई गाता , मैं सो जाता ‘ गीतकार और फिल्म का नाम बतायें ।

जवाब दो जून , २००७ तक लिए जाएंगे ।

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विविध भारती बुझौव्वल के परिणाम

विविध भारती सुनने वालों के लिए हिन्दी गीतों के बोल पर कुछ सवाल पिछली प्रविष्टी में पूछे गए थे । इस पोस्ट को १७९ बार सीधे देखा गया और ६९ बार फ़ीड के जरिए । यह मेरी प्रविष्टियों के औसत से ज्यादा है । इस बुझौव्वल में रुचि लेने वाले सभी साथियों का आभार । विविध भारती के उद्घोषक और साथी चिट्ठेकार युनुस ख़ान ने ऐसी स्पर्धा आयोजित करने में रुचि ली है ।इस स्पर्धा में युनुस जी के भाग लेने पर रोक थी। वरिष्ठ चिट्ठेकार सागर चन्द नाहर जो कुन्दन लाल सहगल के मुरीद हैं का सुझाव है कि प्रश्नों के साथ ‘अता-पता’ भी बताया जाए ।

    परिणाम :

    प्रथम स्थान ( दो )  :  धुरविरोधी तथा v9y   दोनों विजेता पहेलीनुमा नाम वाले वरिष्ठ चिट्ठेकार प्रतीत होते हैं(लेखन से) ।

द्वितीय स्थान ( दो ) : मनीष तथा जगदीश भाटिया चिट्ठालोक में कर्णप्रिय गीतों और गीतकारों से परिचय कराने वाले मनीष से अच्छे परिणाम की उम्मीद थी जिस पर वे खरे उतरे। जगदीश भाई बताते हैं कि बचपन में विविध भारती सुनते थे । संभवतया प्रश्नकर्ता की पीढ़ी का होने की सहूलियत उन्हें जरूर मिली होगी ।

  तृतीय स्थान ( पाँच )  : जीतेन्द्र चौधरी , विजय वड़नेरे , आर.सी. मिश्र , देबाशीष तथा निशान्त

 चतुर्थ स्थान ( एक ) : सागर चन्द नाहर

पंचम स्थान ( एक ) : अभय तिवारी

 प्रश्नों के जटिलता / सहजता का अन्दाज मिले इस लिए हर प्रश्न के आगे कितने लोगों ने उसके सही जवाब दिए यह दिया जा रहा है :

पहला प्रश्न   :

 तन – तन कर तीर चला कर नसों में पीर ऊठाने वाले कौन हैं ?

कुल सही जवाब : ३

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दूसरा प्रश्न :

चमेली कहाँ से आई थी ?

कुल सही जवाब : ६

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तीसरा प्रश्न :

‘ मेरे राम !’ तुम्हारी शरण में आकर मुझे कैसा सुख मिला है ?

कुल सही जवाब : ८

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चौथा सवाल :

जिन्दगी कब सफल हो जाएगी ?

 कुल सही जवाब :  ५

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पाँचवा सवाल :

आकाश कब जमीन हो जाता है ?

कुल सही जवाब : ७

    उत्तर पुस्तिकायें सब के देखने के लिए खुली हों , यह परीक्षा-पद्धति में एक सुधार के रूप में माना गया है । सभी उत्तर पिछली प्रविष्टी की टिप्पणियों के रूप में देखे जा सकते हैं।

सभी भागीदार चिट्ठेकार बन्धुओं का हार्दिक आभार । भविष्य की स्पर्धा के लिए सुझाव तहेदिल से आमंत्रित हैं । पुरस्कार के बारे में कई अ-मूल्य सुझाव आए हैं । इनमें से एक सुझाव लागू भी किया गया है – सभी प्रतियोगियों के चिट्ठों की कडियाँ दे कर ।

 

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विविध भारती के श्रोताओं के लिए एक बुझौव्वल

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    हिन्दी फिल्मी गीत पूरे देश में सुने जाते हैं । अहिन्दी भाषी सूबों में भी उनके श्रोताओं की कमी नहीं है । नए गीतों में लोकप्रिय हुए गीत एक साथ पूरे देश में बजते है , सुने जाते हैं और सुरे – बेसुरे ढंग से गुनगुनाए जाते हैं । ऐसे गीतों के बारे में पिपरिया ( म. प्र. ) के मेरे रसिक मित्र गोपाल राठी कहते हैं , ” इस दौर का यह ही ‘राष्ट्र गीत’ है” ।

    विविध भारती आकाशवाणी की अत्यन्त लोकप्रिय प्रसारण सेवा है । इस साल विविध भारती की स्वर्ण जयन्ती मनाई जा रही है । इस उपलक्ष्य में कई नए कार्यक्रम प्रस्तुत किए जा रहे हैं । महानगरों में निजी एफ़.एम. रेडियो के शुरु होने के बाद विविध भारती ने कार्यक्रमों में विविविधता लाने के सफल प्रयास किए हैं । पिछले साल से शुरु फोन-इन फरमाइश कार्यक्रम में देश के सुदूर कोनों में बैठे श्रोता से उद्घोषक की संक्षिप्त बात होती है और उनकी पसन्द का गीत भी सुनाया जाता है । मुझे यह कार्यक्रम बेहद पसन्द है । विविध सामाजिक पृष्टभूमि के श्रोता इस संक्षिप्त बतकही के प्रसारण से अत्यन्त उत्साहित रहते हैं । अपने काम -धन्धे ,अपने गाँव – कस्बे के बारे में उद्घोषक द्वारा पूछे गए सहज सवालों के सहज उत्तर देते वक्त उत्साह और उत्तेजना प्रकट होती है । कारीगर या दुकानदार या गृहणियाँ या बेरोजगार तरुण रेडियो पर अत्यन्त सामान्य सूचनाएँ दे रहे होते हैं फिर भी इस मुल्क और समाज की विविधता को जो अभिव्यक्ति मिलती है उसे सुन कर, उनकी खुशी का अन्दाज लगाते हुए मेरी आँखें भर आती हैं ।

    बहरहाल , विविध भारती के स्वर्ण जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में बतौर श्रोता यहाँ एक बुझौव्वल आयोजित कर रहा हूँ । कम्पनियों द्वारा आयोजित स्पर्धाओं में जैसी बन्दिश रहती है उसका अनुसरण कर चिट्ठेकार  युनुस ख़ान जैसे विविध भारती से सीधे जुड़े साथी इस बुझौव्वल में हिस्सा लेने के पात्र न होंगे । अलबत्ता झुमरी तलैय्या और राजनदगाँव समेत पूरे देश के हिन्दी फिल्म संगीत प्रेमियों पर कोई रोक नहीं है ।

    ह्निदी फिल्मों गीतों के बोलों पर आधारित सवालों के जवाब सिर्फ सिर्फ टिप्पणी के तौर पर २७ मई दोपहर १ बजे तक दिए जा सकते हैं ।जो टिप्पणियाँ स्पर्धा के जवाबों से अलग होंगी उन पर यह बन्दिश लागू न होगी तथा स्पर्धा में भाग लेने वाले उत्तरों से अलग टिप्पणी देने के हक से मरहूम न होंगे।

प्रश्न

  1.  तन – तन कर तीर चला कर नसों में पीर ऊठाने वाले कौन हैं ?

  2. चमेली कहाँ से आई थी ?

  3. ‘ मेरे राम !’ तुम्हारी शरण में आकर मुझे कैसा सुख मिला है ?

  4. जिन्दगी कब सफल हो जाएगी ?

    5.  आकाश कब जमीन हो जाता है ?

 

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