गत चार सालों में कहाँ से आए पाठक इस ब्लॉग पर
Category Archives: blogging
सर्च इंजनों से किन शब्दों को तलाशते पाठक पहुंचे
गत चार वर्षों में किन शब्दों को तलाशने वाले कितने पाठक यहां पहुंचे
Search | Views |
---|---|
साम्प्रदायिकता | 834 |
स्वामी विवेकानन्द | 553 |
गुलाब | 364 |
विवेकानन्द स्वामी | 325 |
मुसलमान | 249 |
पेड़ | 212 |
hindi poems on child labour | 209 |
hindi poems | 195 |
अल्लामा इकबाल | 181 |
hindi poems for kids | 146 |
hindi poems for nursery | 135 |
hindi poem on child labour | 130 |
hindi nursery poems | 128 |
जवानी | 119 |
nursery poems in hindi | 107 |
sarso | 106 |
ईसाई | 104 |
nursery hindi poems | 103 |
hindi poem | 95 |
बचपन की यादें | 94 |
गुलाब का फूल | 76 |
भारतीय गीत | 73 |
child labour poems in hindi | 72 |
http://www.bbc.hindi.com | 65 |
फूल | 59 |
nursery poems | 58 |
विविध भारती | 58 |
swaraj | 57 |
hindi poem for kids | 51 |
मीडिया | 51 |
hindi poems for children | 48 |
प्रेमचन्द | 48 |
gandhi | 43 |
http://www.vividhbharati.co.cc | 41 |
साने गुरुजी | 39 |
hindi poetry | 38 |
बाल कविता | 38 |
subhadrakumari chauhan | 38 |
कोयल | 38 |
बगिया | 37 |
मुन्शी प्रेमचन्द | 36 |
पेड़ पर कविता | 36 |
सहवास | 36 |
kids hindi poems | 36 |
जयप्रकाश नारायण | 35 |
विस्थापन की समस्या | 35 |
कविताएँ | 35 |
hindi nursery rhymes | 34 |
चित्र | 34 |
बादल पर कविता | 34 |
Filed under blogging
इस चिट्ठे की टॉप पोस्ट्स ( गत चार वर्षों में )
Top Posts for all days ending 2010-08-15 (Summarized)
Summarize: 7 Days 30 Days Quarter Year All Time
All Time
पसन्दीदा चिट्ठों और वेबसाईट्स की कोई पोस्ट न छूटे : गूगल रीडर
गूगल रीडर आपके पसन्दीदा चिट्ठों और समाचार वेब साइटों में प्रकाशित हर नई सामग्री की खबर रखता है । चिट्ठा या साइट पर प्रतिदिन नई पोस्ट प्रकाशित होती हो अथवा महीने में एक बार , यह पक्का है कि गूगल रीडर की मदद से इनमें से एक भी आपकी नजर से नहीं बचेगी ।
यह जरूर है कि चिट्ठों या वेब साईट्स का चयन आपको करना होगा । ब्लॉगवाणी की तरह कोई और चिट्ठों को इस जुगाड़ से नहीं जोड़ेगा। चयन आपके हाथ में हो तो नापसन्द चिट्ठों से मुक्त रह पाना भी इस प्रक्रिया में अन्तर्निहित है । नित नये – नये चिट्ठों को जोड़ते रहना आपका काम होगा। आपके द्वारा जोड़े गये चिट्ठों की हर नई पोस्ट आप तक पहुंचाना गूगल रीडर का काम है । आप नापसन्दगी के आधार पर यदि किन्हीं चिट्ठों को अपने रीडर से नहीं जोड़ेंगे तो भी वे चिट्ठे वाले गिला-शिकवा व्यक्त न कर सकेंगे,जैसा एग्रीगेटर्स के संचालकों को झेलना पड़ता है।
आपको मिलने वाली इस व्यक्तिगत आजादी के साथ आप अपने पसन्द की पोस्टों की फ़ेहरिस्त को सार्वजनिक भी कर सकते हैं । आपके मुरीद इस फ़ेहरिस्त से जान सकेंगे कि आपको कौन सी पोस्ट पसन्द आईं । मेरे पसन्दीदा चिट्ठेकारों में एक अभय तिवारी गूगल रीडर के इस जुगाड़ का उपयोग बखूबी करते हैं । उनकी पसन्दीदा पोस्टों की ताजा फ़ेहरिस्त देखिए ! अपनी फ़ेहरिस्त को आप अपने चिट्ठे पर भी लगा सकते हैं । अभय ने ’मेरी सिफ़ारिश’ के तहत इस फ़ेहरिस्त के विजेट को अपने ब्लॉग पर लगाया है। लगाने का तरीका यहां बताया गया है ।
बहरहाल , जी-मेल खाताधारक ऐसे बढ़ें:
(जो जी-मेल खाता नहीं अपनाने चाहते वे भी अपना जीमेल से इतर ई-मेल नाम की जगह डालकर गूगल रीडर का खाता खोल सकते हैं):
१.जी-मेल के इनबॉक्स के पेज पर ऊपर बांए कोने पर (जहां जीमेल लिखा है उसके ऊपर) गौर करें । ओर्कुट , जीमेल , कैलेन्डर,वेब,डॉक्युमेन्ट्स,मोर लिखे हुए टैब्स पायेंगे। इनमें ’मोर’ पर खटका मारने पर कई विकल्प नीचे खुलेंगे। इनमें ’रीडर’ चुन लें ।
२. रीडर पर लॉग इन होने के बाद जो पेज खुलेगा उसमें ऊपर बांयीं तरफ़ ’एड अ सबस्क्रिप्शन’ के टैब पर खटका मार कर चाहे जितने पसन्दीदा (नापसन्द चिट्ठों का हाल भी देखना चाहते होंगे)चिट्ठे का यू आर एल एक के बाद एक पेस्ट करते जांए । तुरन्त उनकी पोस्ट प्रकट होंगी। जब भी आप रीडर खोलेंगे,नई पोस्ट (यदि हों) प्रकट होंगी। एग्रीगेटर्स के द्वारा आप यही करते थे,न?
३. दिल-दिमाग-मिजाज के हिसाब से अपने दोस्तों की पसन्द आप जानना चाहते होंगे। ब्लॉगवाणी के मैथिली गुप्त बताते हैं कि संजाल पर आने वाले वक्त में समुदायों का महत्व बढ़ जाएगा। दिल-दिमाग-मिजाज के आधार पर अपनी पसन्द को साझा करने पर हम इस दिशा में बढ़ेंगे। रीडर इस दिशा में मददगार है । शेरिंग सेटिंग्स (बांये हाशिए पर) पर खटका मारने के बाद अपने दोस्तों को खोज सकेंगे । अपनी पसंद को सार्वजनिक करना या न करना तय कर सकेंगे।
गूगल रीडर की बाबत ये कुछ मामूली जानकारियां हैं । गहरे जाने के लिए इन लेखों तथा इन विडियो को पढ़ें ,देखें-सुनें,गुनें । गुगल रीडर से सम्बन्धित चर्चा का फ़ोरम भी सक्रिय है ।
कुछ पुराने मित्रों ने सलाह दी कि बिना ब्लॉगवाणी के इस दौर में गूगल रीडर की चर्चा करनी बहुत जरूरी है ।
Filed under blogging
ब्लॉगवाणी में ब्लॉग खोजें
सिरिल की टीम का बनाया ब्लॉग -प्रविष्टी संकलक – ब्लॉगवाणी मुझे पसंद है । अपने चिट्ठों पर पहुंचने वाले कई पाठकों को ब्लॉगवाणी से ही पधारा हुआ पाता हूँ ।
अद्यतन प्रविष्टियाँ तो ब्लॉगवाणी पर दिखती ही हैं । किसी ब्लॉग-विशेष को ब्लॉगवाणी पर आप कैसे खोजते हैं ? मुमकिन है कि उस ब्लॉग पर लिखी गई आखिरी पोस्ट की तारीख और वक्त भी आपको न पता हो । ब्लॉगों को ब्लॉगवाणी पर खोजने के लिए सिरिल की टीम ने एक सरल प्रावधान किया हुआ है। इस प्रावधान से न सिर्फ़ आपको उक्त ब्लॉग की सभी पोस्टें एक साथ मिल जाती हैं अपितु – उक्त ब्लॉग की ब्लॉगवाणी पर प्रदर्शित कुल प्रविष्टियां (पोस्ट्स),भेजे गये कुल पाठक,कुल पसंद,कुल नापसंद तथा प्रति पोस्ट ब्लॉगवाणि द्वारा भेजे गये औसत पाठक के आँकड़े भी मिल जाते हैं ।
ब्लॉगवाणी का पेज खोलकर बिलकुल ऊपरी हिस्से के मध्य भाग पर गौर करें । आप तीन टैब्स पायेंगे -Tags,Blogs तथा RSS Feed अब ‘Blogs’ टैब पर खटका मारें । इससे ऐसा एक पेज खुल जायेगा। इस पेज के ऊपरी बांए भाग में आप
Search for blogs by typing the first few characters from the name.
Search Blogs:
पायेंगे । यदि आप जिस ब्लॉग की तलाश में हैं उसका शीर्षक देवनागरी में लिखा जाता है तो ’खोज-बक्से’ में देवनागरी में ही उसे टाइप कर’ Enter’ कर दें । आप द्वारा खोजा गया ब्लॉग यदि ब्लॉगवाणी पर है तो वह प्रदर्शित हो जायेगा। अब उसके शीर्षक पर फिर से खटका मारें- आपको ब्लॉग-विशेष की तफ़सील से जानकारी हासिल हो जायेगी। ऐसे एक पेज से ।
मुमकिन है इस सुविधा के बारे में जानकारी आपके लिए नई न हो । कृपया बतायें –
Filed under blogging
’लोकसंघर्ष’ के सुमन से ’nice’ से अलग टीप हासिल करने का श्रेय
’ लोकसंघर्ष ’ के सुमन द्वारा ’nice’ की टिप्पणी दिया जाना हिन्दी चिट्ठेकारी की एक वृहत चर्चित परिघटना है । मुझे अच्छी तरह याद है जब सुमन की विस्तृत टीपें हासिल हुआ करती थी । इसके बाद जो कुछ भी हुआ हो सुमन का ’nice’ – सत्याग्रह शुरु हुआ जो उन्होंने पूर्ण निष्ठा से चलाया ।
बहरहाल , आज लोकसंघर्ष के सुमन से स्वयंसेवी संस्थाओं पर मेरे साथी सुनील की लिखी पोस्ट पर ’नाइसेतर’ टीप पाकर मुझे गौरव सा महसूस हुआ । मुझे विनोबा के मौन की याद आई , जिसे उन्होंने एक बार तोड़ा था।
नाइसेतर टीप पर आप क्या सोचते हैं ?
Filed under activism आन्दोलन, blogging, ngo
वर्डप्रेस पर मेरे तीन चिट्ठों के आँकड़े
वर्डप्रेस पर मेरे तीन चिट्ठे हैं : समाजवादी जनपरिषद , यही है वह जगह
तथा शैशव | तीनों पर कुल ५१७ पोस्ट लिखी हैं , कुल २२१३ टिप्पणियाँ की गई हैं तथा इन्हें कुल ७६,७९७ बार देखा गया है । इस प्रकार औसतन प्रति पोस्ट मात्र ४.२८ टिप्पणियाँ मिली हैं तथा प्रति पोस्ट औसतन १४८.५४ बार ही चिट्ठों को देखा गया है । औसत आंकड़े सूरत-ए-हाल का बहुत ढंग का बयान नहीं पेश करते ।
तीनों चिट्ठों पर सर्वाधिक व्यस्त दिन ( ट्रैफिक के लिहाज से) : समाजवादी जनपरिषद पर ३९१ , यही है वह जगह पर १७० तथा शैशव पर १५१ रहे हैं । प्रथम दोनों चिट्ठों पर व्यस्ततम दिन भड़ास फॉर मीडिया नामक पोर्टल पर मेरी पोस्ट के उल्लेख वाले दिन रहे हैं। इनमें से दो मीडिया सम्बन्धी आलेख थे ।
सर्च इंजनों पर ढेर सारे शब्दों को खोजते हुए भी पाठक इन चिट्ठों पर पहुंचते हैं । इसका मुझे सन्तोष है । सर्च इंजनों पर खोजे गये उन पदों-शब्दों-नामों पर मेरे चिट्ठों से पाठकों को कुछ न कुछ सूचना मिलती होगी । हांलाकि इन से कहीं अधिक पाठक एग्रीगेटर्स , अन्य ब्लॉगों , वेब साइटों तथा पोर्टलों पर दिए गए इन चिट्ठों की कड़ियों से पहुंचते हैं ।
मेरे प्रिय एग्रीगेटर ब्लॉगवाणी के प्रिय संचालक मैथिली जी कहते हैं कि आगे आने वाले समय में चिट्ठेकारों के समूहों , समुदायों की भूमिका बढ़ेगी ।
वर्डप्रेस के चिट्ठों में आपके चिट्ठों से जुड़े नाना प्रकार के आँकड़े बिना किसी अतिरिक्त एड ऑन के उपलब्ध होते हैं । यह चिट्ठे मुक्त स्रोत भी हैं । मुझे वर्डप्रेस इसीलिए पसन्द है ।
Filed under blogging
चिट्ठे की प्रविष्टी ‘वर्ड’ पर कैसे चेपें?
कई बार चिट्ठों पर छपी प्रविष्टियों को ‘वर्ड’ (माइक्रोसॉफ़्ट ऑफ़िस वर्ड) पर चेपने , छापने की जरूरत होती है । मामूली सी जानकारियों के अभाव में ‘वर्ड’ पर चिपकाने के बाद आप पाते हैं कि वह देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी के बजाए कोई विचित्र सी लिपि और भाषा प्रकट हो गई है ।
चिट्ठों पर छपी सामग्री ‘यूनिकोड’ आधारित होती है तथा ‘वर्ड’ के पृष्ट पर चेपते वक्त यदि फ़ॉन्ट का चयन सही (यूनिकोड आधारित) नहीं हुआ तब विचित्र अक्षर दिखते हैं।
‘वर्ड’ के दस्तावेज के रूप में चिट्ठे की सामग्री चेपते वक्त ऊपरी बाँए कोने पर सही फॉन्ट चुनें । हिन्दी के चिट्ठों की तरह Mangal एवं Arial Unicode MS भी यूनिकोड आधारित हैं इसलिए इनमें से किसी फॉन्ट को चुनने पर आप ‘विचित्र’ सामग्री नहीं पायेंगे अपितु पठनीय सामग्री पायेंगे ।
‘वर्ड’ का दस्तावेज आप ऑफ़लाइन भी तैयार कर सकते हैं । हिन्दी चिट्ठों की प्रविष्टियों के लिए ‘वर्ड’ पर सामग्री बिना नेट से जुड़े (ऑफ़लाइन) तैयार करनी हो तब भी आप को Mangal अथवा Arial Unicode MS चुनना होगा ।
इन्टरनेट के किसी पृष्ट को बचा कर रखने (save) में कम्प्यूटर का कहीं ज्यादा स्थान जाया होता है ।
गूगल की तख्ती
किसी साइबर कैफे से हिन्दी में पोस्ट करने की नौबत आ जाए , जहां हिन्दी में लिखने की सुविधा ना हो | तब आप क्या उपाय करते हैं ? पूरी पोस्ट न लिखनी हो , सिर्फ टीपना हो | ब्लोगर वाले चिट्ठेकार सीधे देवनागरी में लिखते होंगे | ऐसा न होने पर , निश्चित ही आप किसी ‘तख्ती’ किस्म की सुविधा का इस्तेमाल करते होंगे | मैं अंकित जैन की तख्ती का प्रयोग करता हूं | रोमन में लिखी टिप्पणियों को देख कर थोड़ी सी कोफ्त जरूर होती है अथवा लिखने वाले की मजबूरी का ख्याल आ जाता है |
आज पता चला की गूगल की भी तख्ती उपलब्ध है | बाराहा की भांति गूगल ने भी कुछ अन्य भारतीय भाषाओं में भी यह सुविधा मुहैय्या कराई है | इस तख्ती का प्रयोग करने के उपरांत आप इसे छाप भी सकते हैं ( प्रिंट आउट भी हासिल कर सकते हैं ) | नेट पर हिन्दी के बढ़ रहे प्रयोग की वजह से गूगल को यह सुविधा देनी पडी , मुझे लगता है | आप को कैसी लगी यह तख्ती ?
यह पोस्ट उक्त साधन के प्रयोग से लिखी गयी है |
आज सुबह से ’ब्लॉगर” मना रहा है टिप्पणी बन्द !
आज सुबह ( भारतीय समयानुसार ) से चिट्ठेकारी का लोकप्रिय मंच ’ब्लॉगर’ रूस गया है । उसने टिप्पणी लेना बन्द कर रखा है । धुरंधर टिप्पणीबाज समीरलाल का लोकप्रिय चिट्ठा भी दो टीपों बाद टें बोल गया है । लोगबाग जब अपने चिट्ठे द्वारा टीपें हजम कर लेने से आजीज आ जा रहे हैं तो गड़बड़ी को पक्का करने के लिए भी समीरलाल जैसे टिप्पणीबाजों के यहाँ हो आ रहे हैं ।
हमने ब्लॉगर के मंचों पर शिकायत भी डाल दी । ’ब्लॉगर’ जब गूगल ने नहीं खरीदा था तब से (दिसम्बर,२००३) मेरा एक चिट्ठा उस पर है । बाद में ’खुले स्रोत के दर्शन’ के कारण मैंने वर्डप्रेस को तरजीह दी ।
आज, इस समस्या से त्रस्त हो कर आपने क्या किया ?
4 टिप्पणियां
Filed under blogging
Tagged as टिप्पणी बन्द, ब्लॉगर, सक्रियता, blogger, comments