किस्सा नेपाली बाबा

ओडीशा के अनुगुल शहर के पास रंतलेई नामक एक गांव है। 1952 के आसपास वहां एक 14-15 वर्ष के किशोर को बाबा बना दिया गया। उसे स्थानीय मारवाड़ियों और व्यापारियों का सरंक्षण मिला हुआ था।हर तरह के रोग तथा विकलांगता बाबा की दवा से ठीक हो जाती है,यह प्रचार हो गया था।मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से काफी पीड़ित रंतलेई पहुंचने लगे।मेले में व्यापारियों की कमाई होने लगी।इस इलाके की मशहूर समाजओडीशा के अनुगुल शहर के पास रंतलेई नामक एक गांव है। 1952 के आसपास वहां एक 14-15 वर्ष के किशोर को बाबा बना दिया गया। उसे स्थानीय मारवाड़ियों और व्यापारियों का सरंक्षण मिला हुआ था।हर तरह के रोग तथा विकलांगता बाबा की दवा से ठीक हो जाती है,यह प्रचार हो गया था।मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से काफी पीड़ित रंतलेई पहुंचने लगे।मेले में व्यापारियों की कमाई होने लगी।इस इलाके की मशहूर समाज सेवी मालती चौधरी को परिस्थिति चिंताजनक लगी।वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की ओडीशा में संस्थापकों में थीं। 1946 में प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष थी तथा संविधान सभा की सदस्य भी थीं ।दलित और आदिवासी बच्चों के लिए एक छात्रावास उसी इलाके में चलाती थीं।उन्होंने इस बाबा की चिकित्सा पर संदेह जताया तो बाबा के प्रायोजकों ने कहा कि इस वजह से मालतीदेवी के पांव में कीड़े पड़ गए हैं।गांव की कुछ महिलाएं पता करने आईं तब वे बर्तन साफ कर रही थीं।महिलाओं ने उनके पांव देखे और अफवाह के बारे में बताया।मालती देवी ने अपने पति नवकृष्ण चौधरी को हस्तक्षेप करने को कहा।वे तब ओडीशा के मुख्य मंत्री थे।उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था का उल्लंघन न होने पर हस्तक्षेप न होगा।बाबा के पास भीड़ इतनी होने लगी थी कि वहां हैजा फैलने लगा।तत्कालीन गवर्नर भी अपने पांव की विकलांगता को दिखाने नेपाली बाबा के पास पहुंचे थे।बहरहाल मालतीदेवी अपने दो युवा साथियों जगन्नाथ दास तथा दिवाकर प्रधान के साथ नेपाली बाबा के पास पहुंची और उससे कहा कि तुम्हारे जुटाए मेले से हैजा फैल रहा है और 400 के करीब लोग मर चुके हैं,इसलिए यह बन्द करो।नेपाली बाबा किशोर था उसके बदले उसके पृष्ठपोषक बोले,’यह कलकि है।जो हैजे से मर रहे हैं वे पापी हैं।’इस पर मालती देवी ने कहा कि एक थप्पड़ से इसका इलाज हो जाएगा’! जगन्नाथ दास ने इतने में एक थप्पड़ जड़ ही दिया।बाबा भागा और एक पेड़ पर चढ़ गया।जगन्नाथ दास शांति निकेतन में नंदलाल बसु के शिष्य थे तथा अनुगुल के बेसिक ट्रेनिंग कॉलेज में कला शिक्षक थे।

कानून-व्यवस्था का मामला बना तो पुलिस बाबा को जेल ले गई।शीघ्र ही वह रिहा हुआ।कुछ वर्ष बाद किसी अन्य मामले में वह जेल गया।जेल में उसकी मृत्यु हुई।

राम रहीम के भक्तों का ताण्डव देखने के बाद मालतीदेवी की बेटी श्रीमती कृष्णा मोहंती से किस्सा सुना।उन्हें राम रहीम के बारे में नहीं पता था।सुनने पर बताया कि ओडीशा में ऐसे दो तीन बाबा अभी जेल में हैं।

कृष्णा जी मेरी प्रिय मौसी हैं।

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