शब्द बदल जाएं तो भी

वे जान गए हैं

कि नहीं उछाला जा सकता

वही शब्द हर बार

क्योंकि उसका अर्थ पकड़ में आ चुका होता है

इसीलिए

वे जब भी आते हैं

उछाल देते हैं कोई और शब्द

गिरगिट के रंग बदलने की तरह

जब बदल जायें शब्द

तो अर्थ वही रहता है

शब्द बदल जायें तो भी

– राजेन्द्र राजन

   १९९५.

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4 टिप्पणियां

Filed under hindi, hindi poems, poem, rajendra rajan

4 responses to “शब्द बदल जाएं तो भी

  1. सकुलर नाम अपनौ धरै , हिंदुन को गरियाये.
    देश के दुशमन संग खडा, वाम पंथी कहलाये’ :)

  2. पिंगबैक: दो कविताएं : श्रेय , चिड़िया की आंख , राजेन्द्र राजन « समाजवादी जनपरिषद

  3. shweta

    the poems have got very intense meaning…they are simply beautiful…..

  4. पिंगबैक: इस चिट्ठे की टॉप पोस्ट्स ( गत चार वर्षों में ) « शैशव

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