महान होने के लिए
जितनी ज्यादा सीढ़ियाँ मैंने चढ़ीं
उतनी ही ज्यादा क्रूरताएं मैंने कीं
ज्ञानी होने के लिए
जितनी ज्यादा पोथियां मैंने पढ़ीं
उतनी ही ज्यादा मूर्खताएं मैंने कीं
बहादुर होने के लिए
जितनी ज्यादा लड़ाइयां मैंने लड़ीं
उतनी ही ज्यादा कायरताएं मैंने कीं
ओह , यह मैंने क्या किया
मुझे तो सीधे रास्ते जाना था
– राजेन्द्र राजन .
Rajendraji, bhut khub.likhate rhe.
Dhanyvaad itani behtareen kavita padhwane ke liye.
आपके ब्लॉग राजेन्द्र राजन की कविताएं पढना हमेशा एक परिष्कृत करने वाला अनुभव होता है . दोआबा में भी उनकी कविताएं पढीं . अभी उदय जी ने भी उनकी कविताएं अपने ब्लॉग पर पोस्ट की हैं . सच में हमारे समय के बेहतरीन कवि हैं राजेन्द्र राजन .
सही है!
bahut umdaa kavitaa hai jee.
क्या बात है. बहुत सही है. वाह ! आभार इसे पढ़वाने का.
क्रूर सत्य
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