आपने यह सिक्का देखा है ? इसके पृष्ट भाग पर 150 अंकित है और यह 2004 में टकसाल से निकला है । मेरे घर के कपड़े लोहा करने वाले मित्र मनोज को कल जब इस सिक्के को दिखाया तब उसने कहा,’डेढ रुपए के सिक्के के बारे में सुना जरूर था,पहली बार देख रहा हूँ।’
मैंने कल ही इसे प्राप्त किया है ‘केशव पान भण्डार’ में कार्यरत राजू यादव से । राजू ने इसे करीब दो वर्षों से सहेज कर रक्खा था।
क्या आप लोगों ने डेढ़ रुपए का सिक्का देखा है?जानकारी का स्वागत है। पाठकों में जानकारी का अभाव रहा तो ‘आलोकपात’ किया जाएगा।
करीब २७-२८ वर्ष पहले पचास की नोट पर बने संसद-भवन के चित्र पर तिरंगा नदारद था।मित्र सुशील त्रिपाठी ने उसका चित्र ‘दिनमान’ या ‘रविवार’ में छपवाया।संसद-भवन शोक से बाहर आ गया था और झण्डा फहराने लगा।
वाह वाह..संजोने योग्य है यह सिक्का. हमको भी “अदेखाई” हो रही है.
वाह यह तो बहुत कीमती चीज हाथ लग गई आपके.. बधाई।
bahut badiya hai ye.
क्या बात है!
पोस्ट देख कर कौतुहल हुआ… मै सिक्को मे रुचि रखता हु.. कभी देखा सुना नही… लेकिन फोटो देख कर कहानी समझ आई.. ये सिकका डेढ रुपये का नहीं है.. ये भारतीय रेल या फिर डाक विभाग कि १५० वी जयन्ति पर जारी हुआ है.. ये एक रुपये का सिकका है..
पहले इसके बारे में सुना भी नहीं और आज
आपकी वजह से देख रहे हैं और सोच रहे हैं
असली है या नकली ? :)
अचरज, मैंने भी सिर्फ़ सुना था, देखा न था| चित्र प्रकाशित करने का शुक्रिया|
सिक्के व टिकटे एकत्र करता रहा हूँ, ऐसी चीज कभी हाथ नहीं लगी. कोई विशेष अवसर पर निकाला गया लगता है.
आज पहली बार डेढ़ रूपये का सिक्का देखा।
पिंगबैक: इस चिट्ठे की टोप पोस्ट्स ( गत चार वर्षों में ) « शैशव
देख कर अच्छा लगा था किन्तु रंजनजी ने आनन्द नष्ट कर दिया। सच है, ऐसे मामलों में ज्ञान सदैव ही आनन्द नष्ट करता है।