सुकरात मेरा प्यारा भतीजा है । ४ अगस्त १९७५ को बनारस के महिला अस्पताल में पैदा हुआ तब रणभेरी , चिन्गारी आदि नामों से साइक्लोस्टाइल्ड भूमिगत बुलेटिन निकालने वालों में प्रमुख उसका पिता- नचिकेता , खुद भी भूमिगत था । ‘ गिन रही ,सुन रही, हिटलर के घोड़े की एक-एक टाप को ‘ बाबा नागार्जुन ने इन शब्दों में जिन इन्दूजी का वर्णन किया था, उनकी थोपी सेन्सरशिप का मुकम्मल जवाब थीं – रणभेरी जैसी बुलेटिनें । नचिकेता के पत्रकारीय जीवन की ठोस बुनियाद । रणभेरी लुटा कर ‘ लोकनायक जयप्रकाश -जिन्दाबाद’ सिर्फ एक बार लगाना डी.आई.आर. के अन्तर्गत जेल जाने के लिए पर्याप्त होता था।
बनारसीपने में सुकरात का घर का नाम मैंने दिया – बमबम । बमबम की बुआ -संघमित्रा की शादी के वक्त आशीर्वाद देते वक्त हुए प्रख्यात गाँधीजन दादा धर्माधिकारी ने हम तीनों भाई बहन के लिए कहा था :” ये गुजबंगोड़िया हैं । गुजराती पिता , बंगाली नानी और ओड़िया नाना होने के कारण ।” जीजाजी मराठी हैं इसलिए उनकी बच्ची – महागुजबंगोड़िया – यह दादा कह गए ! सुकरात ने इस प्रक्रिया को जारी रखा , व्यापक बनाया ।
सुकरात की सगाई कल सम्पन्न हुई । सगाई के लिए गंगटोक से पूर्णतय: स्त्री सदस्यों का दल तीन दिन की यात्रा कर अहमदाबाद पहुँचा था । सुकरात अहमदाबाद टाइम्स ऑफ़ इण्डिया में कॉपी एडिटर है और उसकी मंगेतर पूजा कम्प्यूटर साइन्स की प्रवक्ता है , गंगटोक में । कल हुए आयोजन में नचिकेता ने आभासी नाते के प्रत्यक्ष सम्बन्ध बन जाने पर खुशी व्यक्त की । सुकरात ने पूजा को अँगूठी पहनाई उसके पहले उसे नेपाली टोपी पहनाई गई , एक खुकरी दी गयी तथा पूजा की माँ और चाची ने घोषणा की : ” गोरखा समाज सुकरात को दामाद के रूप में कबूलेगा । ” नेपाली टोपी मेरे भाई और मेरे जीजाजी को भी पहनाई गई । असम के लाल किनार वाले अँगोछे की तरह इस टोपी के महत्व का अहसास हुआ । हमें कोई टोपी न पहना सका लेकिन काशी में बैठे-बैठे हमने बमबम और पूजा को आशीर्वाद दिया ।
[ चित्र : १. सुकरात और पूजा , २. सिलीगुड़ी का दल , ३. नेपाली टोपी ]
सुकरात को हमारी तरफ से बधाई
बधाई स्वीकारी. नचीकेतजी को अभी फोन ठोक कर मिठाई माँग रहे है.
सुकरात एवं आपको बहुत बहुत बधाई.
टोपी तो आपको पहननी ही पड़ेगी, कब तक बचेंगे:)
बालक और बालिका को बधाई और शुभकामनाएं।
बहुत प्यारे लग रहे हैं फोटू में।
सुकरात की सगाई की खबर पढ़ बहुत खुशी हुई । सुकरात की माँ भी शायद किसी अन्य राज्य की हैं । सो सुकरात के नाम में ही ….गुजबंगोड़िया से पहले कुछ लगाना पड़ेगा । अब जब सुकरात व पूजा अगली पीढ़ी इस संसार में लाएँगे तो वह नेपा…गुजबंगोड़िया होगी । यही है विश्व में स्नेह व अपनत्व बढ़ाने का सबसे अच्छा साधन । आशा है कि तब तक हम यह संसार बच्चों के लिए कुछ और अच्छा बना पाएँगे ।
यह पढ़कर कि वे आभासी मित्र रहे हैं और अब जीवन साथी बनने जा रहे हैं और भी अच्छा लगा । पूजा के परिवार से महिलादल आया यह जानकर बहुत खुशी हुई । लगता है कि आपका परिवार हम सबको सच्ची आधुनिकता का पाठ पढ़ा सकता है । एकतरफ बाहरी सादगी दूसरी ओर अन्दरूनी मानसिक आधुनिकता । यदि हम थोड़ा सा भी सीखने में सफल रहेंगे तो हमारा, देश व समाज सबका कल्याण होगा । इस सब का श्रेय आपके पूज्य पिताजी व माँ को जाता है । आशा है शीघ्र ही पिताजी की गाँधी कथा सुनने का सुअवसर मिलेगा ।
सुकरात व पूजा को बधाई ।
घुघूती बासूती
I thank all of you for your good wishes. We are so happy that a new member representing Budhist and Gorkha culture is becoming a part of our family.
Nachiketa Desai
thanks to all of you for your blessings and best wishesh..
हमारी ओर से भी बधाई
अतुल
I thank you all for extending your well wishes and compliments… Though Pooja is now part of our family, she will be given full freedom to maintain her Nepali culture at home as well as allowed to retain her maiden surname if she wishes….
Freedom is not something ‘to be given’.’as well as allowed to retain her..’- If she is a part of our family who are you to ‘allow’ anything ?
Love,
Kaka
great reply kaka..
with respect
pooja
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