पचखा-मुक्त एग्रीगेटरों से जुड़ें ,ट्राफ़िक बढ़ायें

Technorati tags: , ,

    हिन्दी चिट्ठों तक ज्यादातर पाठक एग्रीगेटरों के जरिए पहुँचते हैं । जितने ज्यादा एग्रीगेटरों में आपके चिट्ठे की प्रविष्टियों की सूचना होगी उतने ज्यादा आगन्तुकों की उम्मीद रखिए ।

    कुछ पाठक खोजी इंजनों के सहारे भी आपके चिट्ठे तक पहुँचते हैं । आप अपनी प्रविष्टी के लिए किन शब्दों का पुछल्ला (tags) लगा रहे हैं ? पुछल्लों के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है कि – उनको लोग खोजी इंजनों में डालते होंगे अथवा नहीं ।

    ई-मेल – समूहों (Groups) के जरिए भी कुछ पाठक आप तक पहुँच सकते हैं – समूह के उद्देश्य और आपकी चिट्ठे की सामग्री का नाता बनता हो , तब !

    आप निजी फ़ीड रीडरों द्वारा भी पसन्दीदा चिट्ठों की नई प्रविष्टियों की सूचना पा सकते हैं। वर्डप्रेस के चिट्ठाधारक तो Blog Surfer के जरिए अपने पसन्दीदा चिट्ठों के फ़ीड भी पढ़ सकते हैं । गूगल या ब्लॉगर ( अब एक ही कम्पनी ) के पंजीकृत चिट्ठेकार अन्य चिट्ठों की अद्यतन प्रविष्टियों की सूचना उतनी आसानी से रख सकते हैं जितनी सरलता से वे अपने ई-मेल पढ़ते हैं – गूगल रीडर के द्वारा । गूगल रीडर के बारे में कदम-दर-कदम जानकारी यहाँ मौजूद है । किसी भी चिट्ठे की अद्यतन प्रविष्टियों की जानकारी पाने के लिए आप को  उसकी ‘फ़ीड’ (शायद इस शब्द में आप उस चिट्ठे की लीद की ध्वनि या गन्ध पाएँ तो बहुत ग़लत नहीं होगा) का ग्राहक(मुफ़्त) बनना होगा ।

  अतिशीघ्र आपको प्रतीक पाण्डे के हिन्दीब्लॉग्स , आलोकजी के चिट्ठाजगत के बारे में जानकारी दी जाएगी ।इन कड़ियों पर आपने अपने चिट्ठे पंजीकृत न कराए हों तो अब से करवा लें। कथित ‘सामूहिक प्रयासों’ की तुलना में यह व्यक्तिगत प्रयास उदार और विवेकशील लगेंगे। 

    ‘पचखा’ में चल रहे नारद से मुक्ति के लिए एक शानदार औजार आ रहा है जुलाई १० के पहले । धुरविरोधी द्वारा कड़े प्रतिकार का रचनात्मक पहलू और अक्स हम उसी एग्रीगेटर में देखेंगे । आज मैथिलीशरण गुप्त के ‘जयद्रथ-वध’ की पंक्तियाँ याद आ रही हैं :

दुर्वृत्त दुर्योधन न जो शठता सहित हठ ठानता,

जो प्रेमपूर्वक पाण्डवों की मान्यता को मानता ।

तो डूबता भारत न यों रण-रक्त पारावार में ,

ले डूबता है एक पापी नाँव को मझदार में । ।

5 टिप्पणियां

Filed under blog_ban

5 responses to “पचखा-मुक्त एग्रीगेटरों से जुड़ें ,ट्राफ़िक बढ़ायें

  1. आपके ब्‍लाग से मुझे किसी चीज की जलने की बू आ रही है।

  2. प्रमोद सिंह

    ठीक से सब बातें पल्‍ले तो न पड़ीं पर काम का पोस्‍ट. शुक्रिया.

  3. @ प्रमेन्द्र , तुम सूँघ ले रहे हो और मुझे तो बहादुर दमकलवालों के घण्टे भी सुनाई पड़ रहे हैं ।
    @ प्रमोद सिंह , जो बाते तफ़सील में जानना चाहते हैं पूछ लें ।

  4. rajesh, dhenkanal

    pamod pramendra ko likha aap ka comment parha. abhi hindi blog nahi seekh paya hoon. lekin anek blogs dekhe. rajesh dhenkanal, orissa.

  5. पिंगबैक: इस चिट्ठे की टोप पोस्ट्स ( गत चार वर्षों में ) « शैशव

Leave a reply to प्रमोद सिंह जवाब रद्द करें